छोटी सी बात
कितना आसन होता है दुनिया के दुःख दर्द से अपना मुह मोड़ लेना ........सच बहुत आसन !! पर जब ख़ुद के ही दुःख दर्द की बात आती है तो सहा नही जाता और फ़िर दुनिया के हर इन्सान के दुःख दर्द हमें याद आने लगते है जिन्हें हम भूल चुके होते है। उनकी एक एक बात याद आती है । ऐसा लगता है की उनकी आखें हमें घूर रही हो । तब हम ख़ुद पर दया तक नही कर पते और हमारी आत्मा रो पड़ती है की हम कितने दीनऔर लाचार है...... आज हमारे पास कोई नही है जो समझ सके हमारे भावो को ....ज्यादा नही बस साथ बैठा रहे चाहे कुछ न कहे । रोने के लिए कोई कन्धा तो हो ....और तब कोई नही होता ....हम भी कहा हो पते है अपने साथ । ऐसी स्तिथी होती है हमारी की मन करता है ख़ुद के अंधेरे मे ही कही खो जाए .......पर कहा बस चलता है हमारा किसी की उम्मीद की रौशनी जीने को मजबूर कर रही होती है हमें पर पता नहीं चल पता की ये उम्मीद झूठी है या सच्ची ! बस यही कशमकश होती है की कैसे भी पता चल जाये की हम जो कर रहे है वो ठीक है या नहीं ? पर पता नहीं चल पता और तब भुत दया आती है........खुद पर !
16 comments:
गार्गी खुश रहो
आपने " छोटी सी बात " के माध्यम से इतनी बड़ी बात और चिंतन लिख दिया है कि ऐसा लगा जैसे आप ने खुद ही भोग हो ये सब.
मुझे लगता है
आपने यदि यही बात छंदमुक्त कविता में लिखी होती तो और प्रभावी होती,
आपकी लेखनी से मुझे ये विशवास हो गया है कि आप पद्य भी अच्छा लिख सकती हो .
- विजय
गार्गि जी आपने काफ़ी दिल को चुने वाली बात लिखी है|
सच ही है जब तक खुद पे नही बीतति तब तक दर्द का एहसास नही होता|
उम्मीद की रौशनी जीने को मजबूर कर रही होती है हमें पर पता नहीं चल पता की ये उम्मीद झूठी है या सच्ची ! बस यही कशमकश होती है की कैसे भी पता चल जाये की हम जो कर रहे है वो ठीक है या नहीं ? पर पता नहीं चल पता और तब भुत दया आती है........खुद पर !
bahott khoob ...saccha chitran
तभी तो कहा हैं.........दूसरों के दर्द को भी जीना चाहिए........खुद पर गुज़रती है तब दूसरों के दर्द का सही एहसास होता है...........पर सही कहो तो यही तो जीवन है ................जब तक चोट न लगे ...दर्द समझ नहीं आता............आपने सही लिखा, बहुत अच्छा लिखा है गार्गी
दुनिया दु:ख दर्द के अलावा भी है. उम्मीद को ज़गाए रखिए. कविता लिखिए.
मेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद
निर्मल नदी की तरह मुक्त और उच्छ्रन्खल रूप से बहते भाव ऐसे कि बिना रुके एक ही सांस में पढ़ गया. लेकिन एक कमी भी खटकती है प्रूफ़ की बहुत गलतियां हैं बराए महरबानी उनको भी दुरुस्त करें .
ब्लॉग जगत में स्वागत !!
सच में दिल में हमेशा ही ऐसा ही एहसास पनपता रहता है...
सच लिखा है...
मीत
Man ki baat kalam ke ukerna kai baar khayalon se jyadti kar deta ha hai khair....
Dear Gargi ji,
aap bahut achcha likhti hain. gahari bhaavnaaon se paripurn hai...
aap ke diye comment se mera utsaah vardhan hota hai. aasha hai aap aage bhi apni raay deti rahengi aur mere sampark me rahengi.
...Ravi
Bohot kam shabdonme bohot sundar likha, laga,jaise,khudse baat rahee ho...saath hamebhee suna rahee ho..
snehsahit
shama
Meree kavitape comment ke liye shukrguzar hun!
kya kahun main..........aaj chup hi rahungaa........
dard ki sahi abhivyakti hai.
aapne bahut kam shabdo me dil ko choo leni waali baaten likhi hai .. aap bahut accha likhta hai ..
itni acchi rachna ke liye badhai ..............
meri nayi poem padhiyenga ...
http://poemsofvijay.blogspot.com
Regards,
Vijay
achchha bhi aur pyara bhi
dil ki baat rakhi aapne
you write brilliant , simply superb..
Wow, love your photos and the blog! Thanks for sharing.
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