ज़िन्दगी भी नये नये रूप दिखती है ...........रिश्ते अपने होते है ......... कब हाथ से छूट जाते है पता ही नही चलता........और हम साधारण मानव ईश्वर की इस लीला को समझ ही नही पाते कि ............यहाँ कुछ भी हमारा नही है यह तक कि हम खुद भी...............ये संसार तो नश्वर है । सब कुछ ही नश्वब है.............पर हम ये भूल जाते है और छोटी-छोटी चीजो को अपनी ज़िन्दगी समझने लगते है................ऐसा लगता है की उन में ही हमारी आत्मा बसती हो...........ये मेरा है..........वो मेरा है ...............मैं उसके बिना नही जी सकती..............ये पापा ......वो मम्मी ............मेरा भाई........मेरे बहन ...............ये मेरा पति ..........ये मेरे ज़िन्दगी ............ये मेरा प्यार .............ये मेरा दुश्मन ............सब से कितने जुड़े रहते है हम.......और एक दिन जब वो कह दे कि बस हमारा साथ यही तक था और हाथ छोड़ दे .........और फिर हमारा सोचना ............अगर वो न हुआ तो ज़िन्दगी में कुछ भी बाँकी नही रहा .........उसके बिना ज़िन्दगी रुक सी गई है । पागलो की तरह हर रिश्ते को अपनी इन नाजुक मुठ्ठियों में बांधने की नाकाम सी कोशिश में लगे रहते है और भूल जाते है की इस जीवन में कुछ भी हमारी मर्जी से नही होता........हम तो बस एक अच्छे कलाकार की भांति अपना रोल पूरा करते है .........
कल मेरे पीछे मेरा बचपन छूट गया , अहसास भी न हुआ फिर मेरा गाँव,फ़िर वो टॉफी , लोलीपोप , गुडिया , खिलोने , बचपन के दोस्त , मस्ती , मज़ा , छोटी -छोटी बात पर लड़ना-झाड़ना , सब कुछ ही छूट गया .......और बचपन की वो मासूमियत भी तो कही छूट गई और अहसास भी नही हुआ ...... फ़िर स्कूल , कॉलेज भी छूट गया ....सब टीचर , दोस्त -यार भी........ बस यादो तक ही रह गये और साल-साल कर के सब कुछ छूटता गया और फिर रह गई हमारे पास कुछ खट्टी और कुछ मीठी यादें........
कभी कभी लगता है कि मैं किसी टूर पर हूँ ......!! और जगह-जगह रुक कर हर पल को जी रही हूँ । फिर आगे निकल जाना है और सब कुछ यही पीछे रह जायगा ........एक जर्रा भी मेरे साथ नही चलेगा सब कुछ ही .........जो हम चाहते है पीछे रह जाये वो भी ...........और वो भी जो हम अपने साथ रखना चाहते है......पर भारी आंखो से भी उसे हमें पीछे छोड़ना होता है क्योकि जीवन गतिमान है और इसे तो बस चलना ही आता है.............और जब ये नही रुकता तो हम कैसे रुक सकते है ...................
चाहे जितना भी रोलो पर जो जाना है उसे हम मर कर भी नही रोक सकते..............जो हमारा नही है अगर उसे ताला लगा कर भी बंद रखो तो वो भी चला ही जायगा ...................जीना तो हर हाल में पड़ता है और एक समय ऐसा भी आता है की सारे रिश्ते नाते छूट जाते है एक ही पल में .................
पर फिर भी अपने अकलेपन से लड़ते हुए हमे जीना पड़ता है .............आगे बढ़ना पड़ता है ...................चाहे पाँव में कितने भी छाले क्यो न हो..................चाहे भावनायें छलनी हो जाये जीना तो पड़ता है.................क्योकि यही तो है जिन्दगी..............जहाँ मर कर भी चलना होता है जो किसी के लिये नही रुकती..............
चाहो तब भी नही...............और न चाहो तब भी नही .......................और पता नही कब हम इतनी दूर निकल आते है की जब हम पीछे मुड कर देखते है तो बस एक धुन्धला सा साया ही नज़र आता है और धीरे धीरे वो भी काल चक्र में कही लुप्त हो जाता है .........................
पर कितने कमाल की बात है सब कुछ छूट जाता है पर ये दुर्भाग्य नही छूटता .........ये दर्द, आंसू , प्रेम, यादें, खालीपन, हमारा साथ नही छोड़ता..................संग चलती रहते है बिना रुक जीवन की तरह ......................कभी कभी लगता है जब सब का साथ छूट जाना है तो ये भी हमारा साथ क्यो नही छोड़ देते .................
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जो भी है पास में ...
यही रह जायेगा।
मेरा मेरा करता हुआ...
एक दिन तू भी मर जायगा ।
लूट लेगा कोई तुझ से तेरे ख़ुशी .....
आंख धोता हुआ तू ही रह जायगा ।
चाहोगे रोकना वो रुकेगा नहीं ......
वक़्त की आरी से सब कुछ कट जायगा ।
इस दुनिया की बस रीत है यही ......
अकेला आया है तू , अकेला ही जायगा ।
अकेला आया है तू , अकेला ही जायगा ।
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